सजदा करो इस धरती का, ये है हम सबकी माता।
सजदा करो इस धरती का, ये है हम सबकी माता,
पेड़ों की छांव में जीना, ये हमको है सिखलाता।
रंग-बिरंगे फूलों की, महक से भर लो आंचल,
नदियों की मीठी धारा, दिल को सुकून दिलाता।
हवा की शीतल छुअन से, जीवन में ताजगी आए,
पंछियों के गीतों से, सारा आलम गाता।
सजदा करो इस धरती का, ये है हम सबकी माता,
पेड़ों की छांव में जीना, ये हमको है सिखलाता।
हरियाली की चादर ओढ़े, पर्वत भी मुस्काते हैं,
हम सबके साथ मिलकर, ये गीत प्यार का गाता।
सूरज की रौशनी से, ऊर्जा का संचार हो,
रात को चाँदनी में, सपनों का संसार हो।
सजदा करो इस धरती का, ये है हम सबकी माता,
पेड़ों की छांव में जीना, ये हमको है सिखलाता।
हमने जो भी पाया है, ये धरती ने है दिया,
संभालो इसको मिलकर, ना करो कोई अन्याय।
फूलों से, नदियों से, पर्वतों से प्यार करो,
इनकी हिफाजत में ही, हम सबका भला होगा।
सजदा करो इस धरती का, ये है हम सबकी माता,
पेड़ों की छांव में जीना, ये हमको है सिखलाता।
vishesh malhotra
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